मांडूक्य उपनिषद
1. ॐ यह अक्षर अविनाशी है। उसकी महिमा को प्रकट करने वाला यह विश्व - ब्रह्माण्ड है। भूत , भविष्य और वर्तमान तीनों कालों वाला यह संसार भी ॐ कार ही है। और तीनों कालों से अन्य जो भी तत्व है, वह भी ॐ कार ही है।
2. यह सम्पूर्ण जगत ब्रह्मरूप ही है। वह और यह चार चरण वाला स्थूल या प्रत्यक्ष, सुक्ष्म, कारण, एवं अव्यक्त रूपों में प्रभावी है।
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